Book Title: Prachin Karmgranth Satik
Author(s): Jain Atmanand Sabha
Publisher: Jain Atmanand Sabha
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नक
प्रन्थोना नाम. | कर्ता.
भाष्य अभयदेवसूरि
SACROCARROR
" चूर्णी ४ " प्रा० वृत्ति चन्द्रर्षिमहत्तर " वृत्ति * | मलयगिरिसूरि " भाष्यवृत्ति मेरुतुंगसूरि " टिप्पन ४ रामदेव " अवचूरि
| गुणरत्नसूरि ४ सार्द्धशतक * जिनवल्लभगणी
" भाष्य
चूर्णी मुनिचन्द्रसूरि " वृत्ति धनेश्वरसूरि
लोकसंख्या.
अन्थरच्याना कालविगेरेनी हकीकत. गा० १९१ | मा अभयदेवसूरि नवानिवृत्तिकार होबा जोइए कारणके तेबोलीए नव
तत्वविगेरेनु भाष्य करेलुं छे. अने तेभोनो स्वर्गवास विक्रम सं० १९३९
मां घयो छे. । पत्र-१३२ भा चूणींना कर्त्तानुं नाम विगेरे चूर्णीनुं पुस्तक जोवाथी कदाच मली भावे. श्लो० २३०० आ वृत्ति अमोने अपूर्ण मली भावेली छे. लो०३७८० पहेला नंबरमा कर्मप्रकृतिनी वृति जुओ. लो०११५० आ भाष्यवृत्ति अंचलगच्छना मरुतुंगसूरिए संवत् १४४९ मा रची छे. लो० ५७४ | पडशीतिनी प्राकृतवृत्तिमा जुओ.
भा अवचूरीनी लोकसंख्या नवीन कर्मग्रन्थनी अवचूरी साथे गणाइ छ. गा० १५५ पडशीतिमा जुओ. सार्द्धशतकनुं बीजु नाम 'सूक्ष्मार्थविचारसार' छे. गा० ११० भाष्पना काए पोतार्नु नाम विगेरे भाप्यु नथी. श्लो० २२०० आ चूर्णी श्रीमुनिचन्द्रसूरिए विक्रमसं०११७० मा रची छे. श्लो० ३७०० मा वृत्ति धनेश्वरसूरिए विक्रमसं०११ मां रचीछे. अने चक्रेश्वरसूरिए
पाटणमा भा वृत्ति शुद्धकरी छे.
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