Book Title: Prachin Karmgranth Satik
Author(s): Jain Atmanand Sabha
Publisher: Jain Atmanand Sabha
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कमेग्रन्ध
नंबर
का प्रस्तावना.
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ग्रन्थोनां नाम. | का.
श्लोकसंख्या.
ग्रन्थरच्याना कालविगेरेनी हकीकत. " अवचूरि
श्लो०७०० । अमारीपासे जे अवचूरिछे तेना श्लो. २०० ने मासरे छे. कदाच आ
अवचूरि ७०० श्लोकनी होयतो ते जुदी होवी जोइए. (५) शतक | शिवशर्मसूरि गा० १११ | पदेला नंबरमा कर्मप्रकृति जुओ. " भाष्य
गा०२४ ॥
आ बच्चे भाष्योना कर्ताओए पोतार्नु नाम विगेरे आप्यु नथी. " भाष्य
| गा०२४ " बृहद्भाष्य | चक्रेश्वरसूरि
| श्लो० १४१०४९ मां दधिपना भा भाच्च रघु के.
भा चक्रेश्वरसूरि श्री वर्तमानसूरिना शिष्य हता भने तेभोनीए विक्रम चूर्णी
श्लो० २३२२|
___ आ चूर्णी काए पोतार्नु नाम विगेरे बाप्यु नथी. " वृत्ति मलधारिश्रीहेमचन्द्रसूरि श्लो० ३७४० मलधारि हेमचन्द्रसूरिए जीवसमासनी वृत्ति सिद्धराजना राज्यमा
सं०११६४ मा रची छे तेथी मा वृत्ति एज अरसामा रचाह होवी जोइए. " टिप्पन x | उदयप्रभसूरि श्लो० ९७४ | कर्मविपाकना टिप्पनमा जुओ. " अवचूरि गुणरत्नसूरि | पत्र-२५ गुणरवरि देवसुंदरसूरिना शिष्य हता तेश्रोत्रीए अनेक प्रकरणो उपर
अवचूरीओ करेली . तेगोत्री विक्रमनी पंदरमी सदीमा विद्यमान हता. (६) सप्ततिका • चन्द्रर्षिमहत्तर गा० ७५ बीजा नंबरमा पञ्चसङ्ग्रह जुओ.
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