Book Title: Prachin Karmgranth Satik
Author(s): Jain Atmanand Sabha
Publisher: Jain Atmanand Sabha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कर्मग्रन्थ-15 नंबर
प्रस्तावना.
ग्रन्थोना नाम. .कर्ता. " प्रा० वृत्ति x चक्रेश्वरसूरि
" वृत्तिटिप्पन x पांच नवीन कर्मग्रन्थ देवेन्द्रसूरि
" खोपजटीका
लोकसंख्या.
ग्रन्थरच्याना कालविगेरेनी हकीकत. ताड० १५१ | आ वृत्तिना कर्ता वर्द्धमानसरिना शिष्य चकेवरसूरि कदाच होय. परंतु
पुस्तकजोया शिवाय चोकस कही शकाय नही. श्लो० १४०० टिप्पनकार क्यारे थया विगेरे पुस्तक ओबाथी खबर पडे. गा० ३१०
मा कर्मग्रन्यना कर्ता तपागच्छीय श्रीदेवेन्द्रसूरि विक्रमनी तेरमी चौदमी सदीमा विद्यमानहता अने तेओश्रीनो स्वर्गवास विक्रम सं० ११२०
मां थयो छे. लो०१०१३७/ बंधस्वामित्वनी स्वोपशटीकामा अभावे ३८५ शोकनी अवतरि ते स्थले |
मूकवामां आवी छे. श्लो०२९५८/कतना समय विगेरेनो निर्णय पुस्तक जोवाथी कदाच थइ आये. श्लो०५४०७ | आ संख्या सप्ततिकानी अवरि मेळवीने नांधी छे. श्लो०१५० | आ विवरण सं० १५५९ मां रच्युं छे. गा० १६७ मा प्रकरण सं० १२८४ मां रपयुं छे.
आ प्रकरणनी खोपज्ञ वृत्ति पण अञ्चलगच्छना धर्मसूरि ना शिष महे-1 |न्दसूरिए सं० १२८४ मा रचेली छे.
ORGANGA
" अवचूरि x | मुनिशेखरसूरि " अवचूरि गुणरत्नसूरि कर्मस्तवविवरण | कमलसंयमोपाध्याय ६ मनःस्थिरीकरणप्रकरण | महेन्द्रसूरि
" वृत्ति खोपज्ञ
॥६॥
लो० २३००
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 476