Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 04 Jain Dharm ka Prachar Author(s): Gyansundar Maharaj Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala View full book textPage 4
________________ श्री जैन इतिहास ज्ञान भानू किया नए------ * श्री रत्नप्रभसूरीश्वर पादप भ्योनमः . प्राचीन जैन इतिहास संग्रह ( चतुर्थ भाग) श्री जैन धर्म का प्रचार । । गवान महावीर स्वामी से लेकर महाराज सम्प्रति एवं प्रसिद्ध नरेश खारवेल के शासन काल पर्यन्त जैन धर्म का प्रचार भारत के कोने कोने में था। ऐसा कोई भी प्रान्त नहीं था कि जहाँ UDAIMWAIIM के लोग जैन धर्म को धारण कर उच्च गति के अधिकारी न होते हों। पाठकों को ज्ञात होगा कि प्रातःस्मरणीय जैनाचार्य स्वयंप्रभसूरि तथा पूज्यपाद आचार्य श्री रत्नप्रभसूरि ने जिस महाजन वंश को स्थापित किया था वह भी दिन ब दिन उन्नति की ओर निरन्तर अग्रसर हो रहा था । इतना ही नहीं पर इतिहास साफ़ साफ सिद्ध कर रहा है कि भारत में ही नहीं किन्तु भारत के बाहर भी प्रवास में जैन धर्म का प्रचारPage Navigation
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