Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 04 Jain Dharm ka Prachar
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala
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सूचीपत्र १२७ जैनतत्वसार भा० २ जा =) १४१ शुभगीत भाग १ ला )
(अन्योन्य संस्था द्वारा प्रकाशित ) १४२ ,, ,, २ जा ) १२८ कर्मवीर समरसिंह ऐतिहा० ११) १४३ ,, ,, ३ जा )। १२६ कापरडातीर्थ का इतिहास ।) १४४ विधि सहित रा० दे० १३० उगता राष्ट्र
| प्रतिक्रमण १३१ लघु पाठ माला
१४५ जैसजमेर का संघ १३२ भाषणसंग्रह भाग १ ला =) १४६ आदर्श शिक्षा १३३ " , २ जा -) १४७ श्रीसंघकोंसिलोको १३४ नौपदजी की अनुपूर्वी ) १४८ वीर स्तवन १३५ मुनि ज्ञानसुन्दर (जीवन) भेट जैन मन्दिरों के पूजारी ) १३६ समीक्षा की परीक्षा भेट १३७ अर्ध भारत की समीक्षा - १५० प्राचीन जैन इति. भा. १ १३८ पालीनगर में धर्म का प्र. भेट १२१ ,
, २ १३६ गुणानुराग कूलक - २१२ , , , ३ १४० द्रध्यानुयोग द्वि० प्रवे० - १५३ , , , ४ . नोट-पूर्वोक्त १५३ पुस्तकों से परमोपयोगी २५ पुस्तकें चुन के द्वितीयावृत्ति छपाके सुन्दर टाइप मजबुत कागज़ और रेशमी जिल्द में बँधबा के तैयार करावाइ जिसका नाम "ज्ञानविलास"
मूल्य प्रचारार्थ मात्र रु० १॥) है। (क) शीघुबोध शाग १ से ५ तक पक्की जिल्द रु.
१॥) (च) , ,, ६ से १० , ,,
१) (त) , , ११ से १६ तथा २३-२४.२५
, १७ से २२ तक (द) जैन जाति महोदय प्रकरण १-२-३-४-५-६ सचित्र जिसमें ४३ सुन्दर चित्र १००० से अधिक पृष्ट रेशमी पक्की जिल्द होने पर भी केवल ४) रु० मूल्य रक्खा है। पुस्तक मिलने का पता
--श्री रत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमाला मु० फलोदी (मारवाड़) --श्री जैनश्वेताम्बर सभा पीपाड़ (सीटी) मारवाड़।