Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 04 Jain Dharm ka Prachar
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 22
________________ जैन धर्म का प्रचार घर कर दिया कि उन बाधा कर्ता रूढ़ियों के कारण जैन जातियाँ अपना विकास तक नहीं कर सकी हैं । ये रूढ़ियाँ नित्य नई नई बन कर कैसी कैसी आफतें उपस्थित कर रही हैं वह हम आगे चल कर सविस्तृत बता देंगे कि ये जैन जातियों के महोदय में विघ्न करने वाली हैं। अगर जाति अग्रेसर अपने संगठन द्वारा उन बाधाकारक कुप्रथाओं को आज दूर कर दें तो कल ही जैन जातियों का पुन: महोदय होने में किसी प्रकार की शंका नहीं रहे । शासन देव से प्रार्थना है कि वह सब को सद्बुद्धि प्रदान करे । शम् २१

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