Book Title: Prachin Gurjar Kavyasangraha
Author(s): C D Dalal
Publisher: Central Library
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रेवंतगिरिरासु धनु सु धवलह भाउ जिणि पाग पयासिय । बारविसोत्तरवरसे जसु जसि दिसि वासिय । जिम जिम चडई तडि कडणि गिरनारह । तिम तिम ऊडई जण भवणसंसारह । जिम जिम सेउजलु अग्गि पालाट ए। तिम तिम कलिमलु सयलु ओहट्ट ए॥२॥ जिम जिम वायइ वाउ तहि निज्झरसीयलु । तिम तिम भवदुहृदाहो तरकणि तुट्टइ। निच्चलु कोइलकलयलो मोरकेकारवो । सुंमए महुयरमहुरुगुंजारवो। पाज चडंतह सावयालोयणी। लाषारामु दिसि दीसए दाहिणी ॥३॥ जलदजालवबाले नीझरणि रमाउलु। रेहइ उजिलसिहरु अलिकजलसामलु । वहलवुहुधातुरसभेउणी। जत्थ उलदलइ सोवन्नमइ मेउणी। जत्थ दिप्पंति दिवो सही सुंदरा । गुहिर वर गरुय गंभीर गिरिकंदरा ॥४॥ जाइ कुंदु विहसंतो जं कुसुमिहि संकुलु । दीसइ दस दिसि दिवसो किरि तारामंडलु । मिलियनवलवलिदलकुसुमझलहालिया। ललियसुरमहिवलयचलणतलतालिया। गलियथलकमलमयरंदजलकोमला। विउल सिलवट्ट सोहंति तहिं संमला ॥५॥ मणहरघणवणगहणे रसिरहसिय किंनरा । गेउ मुहुरु गायंतो सिरिनेमिजिणेसरा । जत्थ सिरिनेमिजिणु अच्छप अच्छरा। असुरसुरउरगकिंनरयविजाहरा । मउडमणिकिरणपिंजरियगिरिसेहरा । हरसि आवंति बहुभत्तिभरनिब्भरा ॥ ६ ॥
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