Book Title: Patan Chaitya Pparipati Author(s): Kalyanvijay Publisher: Hansvijay Jain Free Library View full book textPage 6
________________ अम्हारा कार्यमा सफल थया छीए - उपकृत थया छीए; ए प्रकट करवानी अम्हारी फरज विचारीए छीए. अम्हारा आ ग्रंथप्रकाशन कार्यमां पाटणना झवेरी मणीलाल छगनलालनी धर्म पत्नि केसरबाई, सुरतना शा. अनोपचंद नगीनदास स्वनाम धन्य स्वर्गवासी लाला ठाकुरदासजी खानगाम डोगरां ( पंजाब ) वाले के सुपुत्र श्रीमान लाला प्रभदयालजी दुगड लाहोर ( पंजाब ) वालेने पोतानी लक्ष्मीनो सद्व्यय करी अम्हने प्रोत्साहित करवा साथै अन्य बनायो अनुकरणीय कर्तव्यमार्ग दर्शाव्यो के, तेमनो उपकार मानवानुं अम्हे आ स्थळे भूली शकता नथी. आ ग्रंथमां मतिमंदताथी, प्रमादथी या दृष्टिदोषथी रही गयेली स्खलनाओ सज्जनो सुधारी वांचशे अने अम्हने सूचवा तस्दी लेशे तो पुनरावृत्ति - प्रसंगे साभार सुधारवा प्रयत्न थशे. शासनदेवनी कृपाथी विशेष प्रगति करी साहित्यसेवापूर्वक अधिक शासन सेवा बजाववा अम्हे भाग्यशाली थइए एव हार्दिक भव्य भावना प्रकट करी अत्र विरमीशुं. वीरसं. २४५२ पार्श्वमभु-जन्मतिथि, प्रकाशक ऑ. से. 'श्रीहंसविजयजी जैन फ्री लायब्रेरी - अमदावाद.Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 130