Book Title: Parshwa Pattavali
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 15
________________ (१४) ३३-प्राचार्य श्री कनकसूरीश्वर पट्ट तेतीसवें कक्क सूरि ने, अदित्यनाग प्रभा बढाई थी। ___ योग विद्या स्वरोदय ज्ञान में, पूर्ण सफलता पाई थी॥ अर्बुदाचल जाते श्री संघ के, जीवन आप बचाये थे। __ सोमा शाह के बन्धन छूटे सहायक आप कहलाये थे। ३४-आचार्य श्री देवगुप्तसूरीश्वर वि० सं० ४६० चौतीसवें पट्टधर देवगुप्त थे, सूरि सूरि गुण भूरि थे। पूर्वधर थे ज्ञान दान में, कीर्ति कुबेर सम पूरि थे॥ देववाचक को दो पूर्व का. पद क्षमाश्रमण प्रदान किया। .. जिनने पुस्तकारूढ आगम कर,जैन धर्म को जीवन दिया। ३५-श्राचाय श्री सिद्धसरीश्वर वि० सं० ५२० पैतीसवें पट्ट धर सिद्धसूरीश्वर, विरहट्ट कुल के नायक थे। मान ध्यान तप संयम से, वे सर्व गुणों में लायक थे। सम्मत सिखर की करी यात्रा, पावापुरी पद दायक थे। - जैन धर्म प्रचारक पूरे, कई भूपति उनके पायक थे । पट्ट पैतीस पर्यन्त सरि के, पांच नाम क्रमशः आते थे। . रत्नप्रभ, यक्षदेव, कक्कसरि, देव सिद्ध कहलाते थे। उनके बाद भयि कई शाखा, दो नाम श्रादि के भण्डार किये। कक्क देव सिद्ध इन तीनों ने, सब शाखा में स्थान लिये।

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