Book Title: Parshwa Pattavali
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 27
________________ (२६) ६६-प्राचार्य श्री कक्क मरीश्वर सं० १३७१ पट्ट छांसटवे कक्कसूरीश्वर, गदइया कुल श्रृंगार थे। ___ संघपति हो सुवर्ण मुद्रा से, खूब किया सत्कार थे। होकर सूरि जैन धर्म का. डंका बजाया जोर से। .. अन्य निर्माण किये कई मौलिक, वादी हटाये शोर से ॥६२ ६७-आचार्य श्री देवगुप्त सूरीश्वर सं० १४०६ पट्ट सड़सठवें देवगुप्त हुए चोरडिया जाति के वीर थे। प.रंगत थे सर्व आगम के, पुनः गुणों में गम्भीर थे। भ्रमन भूमण्डल में करके, धर्म खूब चमकाया था ॥ गज सभा में शास्त्रार्थ कर, विजय डंका फहराया था ॥६३ ६८- आचार्य श्री सिद्धसूरीश्वर सं० १४७५ अड़सठ पट्ट पर सिद्धसूरीश्वर, बोत्थरा कुल दिपाया था। वचन लब्धि और उपदेशक थे, धर्म को खूब बढ़ाया था। सूर्य सम था प्रकाश प्रापका, सुयश विश्व में छाया था । अल्प बुद्धि से महिमा कहां लौं, करू पार नहीं पाया था। • ६६-प्राचार्य श्री कनकसूरीश्वर सं० १४६८ नौसाठ पठ्धर ककसूरिजी, समदड़ियाशास्त्र उज्जागर थे। .: निर्मल ज्ञान पावन था, जीवन गुण गण के बे सागर थे। प्रचार किया था जैन धर्म का, क्रान्ति खूब फैलाई थी। मेवपाट नर नाथ के दिल में, ज्योति जैन जगाई थी।

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