Book Title: Parshvanath Author(s): Publisher: Unknown View full book textPage 4
________________ एक दिन बड़ी हैं यह क्या? आया तो था यहां पानी पीने, परन्तु फंस गया हूं कीचड़ में। प्यासलगी इससे निकलना नामुमकिन है। मृत्यु निश्चित है। ऐसे में मुझेचाहिए कि और चल दिया। मैं शांत परिणामों से मरूं,खाना पीना छोड़ दें। और... ... ... वेगवती नदी की ओर.... M हाथी बैठ गया शांतचित्त होकर मानों समाधिमरण || हाथी मर कर बारहवें स्वर्ग में शिप्रभ देव हुआ..... में बैठा हो-इतने में कमठ के जीव सर्प ने उसे डंक हैं ! यह क्या ? मैं यहां कहां ?) मारा और वह मर गया...... かんいかがきれいになれま AMR) 111 CHITRAPage Navigation
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