Book Title: Parshvanath
Author(s): 
Publisher: Unknown

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Page 13
________________ 58 राजा अश्वसेन के महल में सौधर्म इन्द्र की इन्द्राणी प्रसूतिगृह मेंगई अहा! हा! हा! आज मैं निहाल हो गई। चलू,बालक को ले चलं अपने पति को । सौंपदं, और फिर चलें पांइक शिलापर बालक का जन्माभिषेक करने के लिए। परन्तु यदि बालक को उठाया तो माता को कष्ट होगा। अतः इतनी देर के लिए माता को निद्रा में सुला दूं और एक मायामई बालक को उनके निकट लिटाकर भगवान बालक को उठा लू । 436 प्रिय 100 Capna IN IITTILES TRICCpour Taudai PRETATIODESIDE DOLUCCSETTE YOU ON

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