Book Title: Parshvanath
Author(s): 
Publisher: Unknown

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Page 1
________________ कमठ की बन आई। उस दराचारी ने उसका सतीत्वही लूट लिया। ... ... ... ... जबराजा | मंत्रीजी मैंने सुना है कि तुम्हारे बड़े भाई राजन! वह मेरे बड़े भाई हैं| भूल हो गई, अरविन्द | ने तुम्हारी पत्नी के साथ...अब क्या दंडहोगी उनसे । कृपया उन्हें क्षमा कर युद्ध सेल दिया जाये उस पापी को? दीजियेगा महाराज..... तब...... यह कैसेहोसकता है मंत्री 'जी।इतनाबड़ा अपराध और दंड न दिया जाये| इस अपराध के लिए जो आज्ञा मृत्युदंड होना चाहिए,परन्तु आपके महाराज! कहने के कारण मैं आज्ञा करताहू कि उसका काला मुंह करके गधेयर बैठाकर देश से बाहर निकाल दिया जावे। कमठ को देश निकाला देदिया गया.... लोगों ने गधे पर चढा कर कालामुंह करके नगर के बाहर तक विदा किया... वहांसेअपमानितकमठ भताचल पर्वत पर पहुंच गया जहां जटाधारी शरीरपर राखळगाये,चिमटा लिए चारों ओर अग्नि जळाये एक लापसीबैठा था........ महात्मन! मुझे भी वत्स! जैसी अपना चेला बना तुम्हारी लीजियेगा। इच्छा

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