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स्वर्गों के देवतागण अपने अपने वाहनों पर वाराणसी की ओर जयजयकार करते हुए चल दिये। वहां | पहुँच कर
हम माता जी की सेवा के लिए देवियों को छोड़ कर जा रहे हैं।
इससे & महीने बाद पोष बढी ११ को पहले स्वर्ग में ....
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हैं। आज मेरा यह इन्द्रासन क्यों कांप रहा है। ओहो ! आज तो वाराणसी में
'भगवान पार्श्व
नाथ का जन्म
हुआ है।
आपकी जय हो । आप धन्य है । आप के यहां 23 वें तीर्थकर माताजी के गर्भ में आगये हैं | आप बड़े पुण्यशाली हैं
"
| अपने आसन से उठ कर 9 पग आगे चलकर सौधर्म इन्द्र ने भगवान को परोक्ष नमस्कार किया और फिर.... अरे सुनो। आज वाराणसी में 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म हुआ है। चलें वहां भगवान का जन्म कल्याणक मनायें।
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