Book Title: Parshvanath Author(s): Publisher: Unknown View full book textPage 17
________________ अब माता जाग गई.. अहा! मैं आज कितनी धन्य हूं। कितना सुन्दरबालक है! क्या अदभुत रूप है? क्या मनोहर छवि है? Seso CO LALLA सौधर्म इन्द्र भगवान के माता पिता के पास | पहुंच गये...... TIMILIAN COM आपधन्य हैं। आपके तीर्थकर पुत्रने जन्मलिया है। कृपया हमाराप्रणाम स्वीकार करें। और ये तुच्छ भेट भी 25000 MUT JUODOUPage Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28