Book Title: Parshvanath
Author(s): 
Publisher: Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ Do "नहीं। पालकी हम उठायेंगे। ये भी मनुष्य हैं और हम भी मनुष्य फिर ये हक हमारा ही तो है । नहीं। दूर हट जाओ। पालकी हम उठायेंगे। हम तुम से बहुत शक्तिशाली हैं अतः हमारा हक है । तुम शक्तिशाली हो तो बनकर दिखा दो मुनि, जो यह बनने जा रहे हैं। निर्णय के अनुसार पालकी पहले भूमिगोचरी राजाओं ने उठाई, कुछ दूर चल कर विद्याधरों ने, और कुछ दूर चलने के बाद नम्बर आया देवों का । Maw भैया, यहां हम विवश हैं। हम मुनि व्रत धारण नहीं कर सकते । संयम धारण करने की शक्ति तो तुम में ही है । हम तुम से भीख मांगते हैं। हमें कुछ क्षण केलिए मनुष्य भव देदो चाहे बदले में हमारा सारा वैभव ले लो ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28