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लभी पांचवें स्वर्ग से लौकान्तिक देव आ पहुंचे। वे भगवान के लप कल्याणके में ही आते हैं। बाल ब्रह्मचारी होते हैं और अगले भव मैं मनुष्य बन कर मोक्षप्राप्त करते हैं
वाहखूब। आपने भला विचारा महाराज|आपको यहीयोग्यहै। आप धन्य हैं।
देवोंने पालकी सजाई उसमें पार्श्वनाथ को देवताओं ठहरो, पालकी हम बैठाया और पालकी उठाने लगे कि...... उठायेंगे आपको क्या हक है हम पालकी के उठाने के हकदार क्यों नहीं
पालकी उठाने का ? हैं भाई भगवान के गर्भकल्याणक में हम आये,जन्मोत्सव हमने मनाया, फिर पालकी हम क्यों न उठायें
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