Book Title: Parshvanath
Author(s): 
Publisher: Unknown

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Page 3
________________ राजा अरविन्द कागज लेकर आये परन्तु ... बादल महल गायब था...... हैं! यह क्या? वह महल कहां चला गया? वह तो अब है ही नहीं। कितना क्षणभंगुर है यह दृश्य ? क्या ऐसी ही दशा हमारीहोगी? मैं खद. मेरायौवन,मेरेये भोगविलासर क्या रखा है इनमें? "यौवन,गृह,गो,धन,नारी, हयगय जन आज्ञाकारी। इन्द्रिय भोगछिन काई सुरधनुचपला चपलाई॥") और वह राजा अरविन्द मुनि बनगये। एक दिन बिहार करते हुए पहुंच गये उसी सल्लकीबन में ध्यान में बैठे थे। वज्रघोष हाथी उपद्रव मचा रहा था। मुनि को बैठा देख कर... ... ... हैं ये कौनयेतो कोई परिचित से मालम होते हैं। ओह याद आया। पहले भव में में इनका मंत्री मरूभूतिही तो था कितने शांतहैं येऔर मैं कितना क्रोधी...चलं इनके चरणों कितना क्रोधी... चलाता था स्वीकार कल्याण हो। तूधर्म में बै→। = हे भव्या तेरा कल्याण हो| तूधर्म को स्वीकार कर संयम से रहा किसी जीव को मत मार । किसी को तकलीफ न दे। हथिनौ से दररह। सबका भला सोच। तेरा कल्याण होगा।. Q हाथीने धर्म अंगीकार किया। सूखे घास फूस पत्तेखाने लगा। किसी जीव को उससे कष्टनहो ऐसी क्रिया से रहने लगा हथिनी सेदर रहने लगा

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