Book Title: Pantrish Bolnno Thokdo Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 5
________________ (३) ११ श्रगीयारमे बोले मिथ्यात्व गुणगणुं, साखादन गुणगएं, मिश्र गुणगणुं, अबतिसम्यग्दृष्टि गुणगणुं, देशविरति गुणगणुं,प्रमत्तगुणगणुं,अप्रमत्त गुएगणुं,निवृत्तिबादर गुणगणुं,अनिवृत्तिबादर गुणगएं, सूनसंपराय गुणगणुं, उपशांतमोह गुणगणुं वीणमोह गुणगणुं, सयोगीकेवली गुणगणुं श्रने अयोगीकेवली गुणाएं, एवं चौद गुणगणां ॥ १५ बारमे बोले जीवशब्द,अजीवशब्द अने मिश्रशब्द, ए त्रण विषय श्रोत्रजियना डे, तथा कालो, नीलो, पीलो,रातोअने धोलो, ए पांच विषय चा. रिंजियना , तथा सुरनिगंध अने पुरजिगंध, ए बे विषय घ्राणेंजियना , तथा कमवो,कषायेलो,खाटो, मीगे अने तीखो, ए पांच विषय रसेंजियना डे, तथा सुंवालो, खरखरो, हलवो, नारे, शीत, उष्ण, लूखो अने चोपड्यो, ए श्राप विषय स्पर्शेजियना ने. एवं सर्व मली पांचे इंजियना त्रेवीश विषय जाणवा ॥ १३ तेरमे बोले जीवने अजीव करी जाणे ते मिथ्यात्व, अजीवने जीव करी जाणे ते मिथ्यात्व, धर्मने अधर्म करी जाणे ते मिथ्यात्व, अधर्मने धर्म करी जाणे ते मिथ्यात्व, साधुने असाधु करी सहदे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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