Book Title: Pantrish Bolnno Thokdo
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 22
________________ (२०) तेना सर्व मली त्रणसें ने त्रेस नेद श्रीसूयगमांग सूत्रथी जाणवा ॥ ३५ पांत्रीशमे बोले श्रावकना एकवीश गुण कही देखाडे . १ कुछ मतिवालो न होय, पण गंजीर होय,पंचेंजिय स्पष्ट होय, रूपवंत होय एटलां अंगोपांग संपूर्ण होय, ३ सौम्य प्रकृतिवालो होय,स्वजावे अपापकर्मी होय,४ सर्वदा सदाचारी होय माटे सर्व लोकने वहज होय, प्रशंसा करवा योग्य होय, ५संक्लिष्ट परिणामथी रहित होय, क्रूर चित्तवालो न होय, ६ श्ह लोक परलोकना अपायथी एटले कष्टथी बीतो रहे, तथा अपयशथी बीतो रहे, अशठ होय, परने उगे नहीं, दाक्षिण्यवालो होय, परनी प्रार्थना नंग करे नहीं, एस्वकुलादिकनी लजावालो होय, अकार्य वर्जक होय, १० दयावंत होय, ११सौम्य हष्टिवालो होय,१५ गुणी जीवोनो पक्षपाती होय, १३ नली धर्मकथानो उपदेश करनार होय, १४ सुशीलादि एवा अनुकूल परिवार युक्त होय, १५ उमा विचारवालो दीर्घदर्शी होय, १६ पक्षपातरहितपणे गुण दोष विशेषनोजाण होय, १७ वृक्ष पुरुषोजे परिणत मतिवाला, तेने सेवनारो, तेना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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