Book Title: Pantrish Bolnno Thokdo
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 20
________________ (१७) १ सामायिक चारित्र, बीजु जेदोपस्थापनीय चारित्र, त्रीजुं परिहार विशुछि चारित्र, चोधुं सूक्ष्मसंपराय चारित्र अने पांचमुं यथाख्यात चारित्र. एवं पांच ॥ २६वीशमे बोले नैगमनय, संग्रहनय, व्यवहारनय, जुसूत्रनय, शब्दनय, समनिरूढनय अने ए. वंनूतनय, ए सात नय जाणना ॥ २७ सत्तावीशमे बोले नामनिदेप, स्थापनानिकेप, व्यनिक्षेप अने जावनिदेप, ए चार निक्षेपा जाणवा ॥ अहावीशमे बोले उपशमसमकित, क्षयोपशमसम कित,दायिकसम कित, साखादनसमकित अने वेदकसम कित, ए पांच समकित जाणवां ॥ ए उंगणत्रीशमे बोले शृंगाररस, वीररस, करुपारस, हास्यरस, रौधरस, जयानकरस, अनुतरस, बिनत्सरस अने शांतरस, ए नव रस जाणवा ॥ ३० त्रीशमे बोले १ वमनी पीयु, पीपलनी पीपु, ३ जंबरनां फल, ४ पिंपरीनी पींपु, ५ कलुबरनां फल, ६ मधु, ७ माखण, ७ मांस, ए मदिरा, १० हिम, ११ विष ते अफीण, सोमल प्रमुख, १२ करहा ते रोयमा, १३ सर्व जातनी काची माटी,१४ रात्रिजोजन, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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