Book Title: Pantrish Bolnno Thokdo
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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ए बेजियने हणे नहीं, हणावे नहीं अने हणताने रु९ जाणे नहीं, मन, वचन अने कायाए करी. ए तेंजियने हणे नहीं, हणावे नहीं अने हणताने रुडं जाणे नहीं, मन, वचन अने कायाए करी. ए चौरिंजियने हणे नहीं, हणावे नहीं अने हणताने रुडं जाणे नहीं, मन, वचन अने कायाए करी. ए पंचेंजियने हणे नहीं, हणावे नहीं अने हणताने रुडं जाणे नहीं, मन, वचन अने कायाए करी. ॥ बीजा मृषावादविरमणव्रतना नांगा
बत्रीश थाय ते कहे ॥ ए क्रोधना आवेशथी असत्य बोले नहीं, बोलावे नहीं, बोलताने रुडं जाणे नहीं, मन, वचन,कायाथी. ए हास्यथी जूतुं बोले नहीं,बोलावे नहीं अने बोलता
ने रुडं जाणे नहीं, मन, वचन अने कायाए करी. ए जयथी जूतुं बोले नहीं, बोलावे नहीं, बोलताने
रुडं जाणे नहीं, मन, वचन, कायाए करी. ए लोनश्री जूतुं बोले नहीं, बोलावे नहीं, बोलताने रुडं जाणे नहीं, मन, वचन अने कायाए करी.
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