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१०६ पंचामृत वस्त्र है। यदि आपके मुह से निकल गया तो क्या हो गया ?
व्यापारी ने कहा-पुत्रो! चिन्ता लाख की नहीं है, किन्तु साख की है। यदि लाख नष्ट भी हो जाय
और साख बनी रहे तो लाख पुनः आ जाएंगे। यदि साख चली गई और लाख बचे रहे तो किस काम के ?
पिता के आदेश से पुत्रों ने वह सारा रेशमी वस्त्र जला दिया। दूसरे दिन प्रातःकाल वेष परिवर्तन करके राजा सेठ की दूकान पर पहुँचा। उसने अच्छी तरह से दूकान की एक-एक वस्तु का निरीक्षण किया। किन्तु कहीं पर भी रेशम का वस्त्र दिखाई नहीं दिया। राजा ने अपने उन चुगलखोरों से कहा-तुम कहते थे कि सेठ की दूकान में लाखों का रेशमी वस्त्र है। किन्तु यहां तो एक भी टुकड़ा नहीं है। मेरे सामने इस प्रकार झूठी बातें कहते शरम नहीं आती ?
राजा ने अपने अनुचरों को आदेश दिया कि इन चुगलखोरों की जीभ निकाल दो ताकि भविष्य में इस प्रकार मिथ्या प्रलाप न कर सकें। व्यापारी के कान में भी वह बात आयी। वह सीधा ही राजा के पास पहुँचा और राजा को नमस्कार कर उसने निवेदन किया-हुजूर ! कल आपने मुझे अकस्मात् बुला
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