Book Title: Panchamrut
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 143
________________ १३२ पंचामृत महेन्द्र को देखा । उनका खून खौल उठा। वे उसे पकड़ने के लिए आगे बढ़े। पीछे से बलवन्त उस पिंजड़े तक पहुँच गया। उसने राजकुमारी मंजुला के पिंजड़े को लेकर समुद्र में डुबकी लगा दी और एक हथगोला बारूद के ढेर पर फेंक दिया, जिससे भयंकर विस्फोट हुआ और पानी में भयंकर तरंग उठी । बलवन्त पानी में ही गायब हो गया। डाकू दल ने गोलियों से प्रहार किया। पर कुछ भी लाभ न हुआ । बलवन्त मंजुला को लेकर महल में पहुँच गया और वह पुनः शीघ्र ही अपने वीर साथियों को लेकर समुद्र तट पर पहुँचा। किन्तु वहाँ राजकुमार महेन्द्र दिखाई नहीं दिया और न डाकू अजितसिंह का दल ही दिखाई दिया। बलवन्त समझ गया कि डाकू दल राजकुमार महेन्द्र को लेकर इस बीहड़ जंगल में चला गया है। बलवन्त उनके पदचिन्हों पर चलता हुआ जंगल में पहुँचा। डाकू अजितसिंह हाथ में बन्दूक लिए खड़ा था और एक डाकू सरदार राजकुमार महेन्द्र को पेड़ से बांध रहा था। राजकुमार को बाँधकर वह डाकू अजितसिंह के पास आ गया। छिपकर बलवन्त ने यह सारा दृश्य देखा। उसने बहुत ही सावधानीपूर्वक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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