Book Title: Panchamrut
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 165
________________ २५ সানন ষ্টী ঠিালী एक गाँव में एक बहुत ही बुद्धिमान किसान रहता था। वह बहुत ही परिश्रमी था। एक बार वह अपते खेत जोतने जा रहा था। रास्ते में उसे एक खूख्वार बन्दरों का समूह मिला। उन्होंने किसान को कहा-तुम यहाँ से भाग जाओ। यदि यहाँ पर तुमने कुछ भी खेती की तो वह खेती सुरक्षित नहीं रह सकेगी। किसान ने मुस्कराते हुए कहा-बन्दरो ! तुम तो बहुत ही सज्जन हो। देखो, मुझे खेती करने दो। श्रम मैं करूँगा और जो पैदा होगा उसका आधा हिस्सा मैं तुम्हें सहर्ष दूंगा। तुम्हें तो बिना श्रम किये ही खेत का आधा माल मिलेगा। इसलिए तुम नाराज न बनो और सहयोग दो। बन्दरों ने कहा- यदि ऐसा है तो जो जमीन पर पैदा होगा उसके मालिक हम बनेंगे और जो जमीन के अन्दर होगा उस पर तुम्हरा अधिकार होगा। बोलो, तुम्हें हमारी यह शर्त स्वीकार है न ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 163 164 165 166 167 168 169 170