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সানন ষ্টী ঠিালী
एक गाँव में एक बहुत ही बुद्धिमान किसान रहता था। वह बहुत ही परिश्रमी था। एक बार वह अपते खेत जोतने जा रहा था। रास्ते में उसे एक खूख्वार बन्दरों का समूह मिला। उन्होंने किसान को कहा-तुम यहाँ से भाग जाओ। यदि यहाँ पर तुमने कुछ भी खेती की तो वह खेती सुरक्षित नहीं रह सकेगी।
किसान ने मुस्कराते हुए कहा-बन्दरो ! तुम तो बहुत ही सज्जन हो। देखो, मुझे खेती करने दो। श्रम मैं करूँगा और जो पैदा होगा उसका आधा हिस्सा मैं तुम्हें सहर्ष दूंगा। तुम्हें तो बिना श्रम किये ही खेत का आधा माल मिलेगा। इसलिए तुम नाराज न बनो और सहयोग दो।
बन्दरों ने कहा- यदि ऐसा है तो जो जमीन पर पैदा होगा उसके मालिक हम बनेंगे और जो जमीन के अन्दर होगा उस पर तुम्हरा अधिकार होगा। बोलो, तुम्हें हमारी यह शर्त स्वीकार है न ?
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