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विचित्र युक्ति ११३ आपके दर्शनों का सौभाग्य एक बार नहीं दो बार हो गया है।
वह बादशाह को प्रणाम कर चल दिया। पहरेदार इस विचित्र पुरस्कार को पाकर दंग थे और जाट अपनी युक्ति पर प्रसन्न था।
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