Book Title: Pakshika Sutram
Author(s): Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 145
________________ अणुपालेमो ते भावे सद्दहन्तेहिं पत्तियन्तेहिं रोयन्तेहिं फासिन्तेहिं पालन्तेहिं अणुपालिन्तेहिं अन्तोपक्खस्स जं वाइयं पढियं परियट्टियं पुच्छियं अणुपेहियं अणुपालियं तं दुक्खक्खयाए कम्मक्ख-1 याए मोक्खाए बोहिलाभाए संसारुत्तारणाए त्तिकट्ठ उवसंपज्जित्ता णं विहरामि । अन्तोपक्खस्स जं न वाइयं न पढियं न परियट्टियं न पुच्छियं नाणुपेहियं नाणुपालियं सन्ते बले संते वीरिए सन्ते|| हापुरिसकारपरक्कमे तस्सालोएमो पडिक्कमामो निन्दामो गरहामो विउट्टेमो विसोहेमो अकरणयाए अब्भुट्टेमो अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिवजामो तस्स मिच्छामि दुकडं । इदमपि सूत्रं प्राग्वत्समवसेयमिति ॥ समुत्कीर्तितमुत्कालिकमथ कालिकोत्कीर्तनायाह णमो तेसिं खमासमणाणं जेहि इमं वाइयं अङ्गवाहिरं कालियं भगवन्तं तंजहा-उत्तरज्झयणाई दिसाओ कप्पो ववहारो इसिभासियाई निसीहं महानिसीहं जंबुदीवपन्नत्ती सूरपन्नत्ती चन्दपन्नत्ती दीवसागरपन्नत्ती खुड्डियाविमाणपविभत्ती महल्लियाविमाणपविभत्ती अङ्गचूलियाए वग्गचूलियाए विवाहचूलियाए अरुणोववाए वरुणोववाए गरुलोवावए वेसमणोववाए वेलन्धरोववाए देविन्दोववाए उट्टाणसुए समुहाणसुए नागपरियावणियाणं निरयावलियाणं कप्पियाणं कप्पवर्डिसयाणं *ORIPAIGASURASTASIASSA Jain Education For Private & Personel Use Only Cowjainelibrary.org

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