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भूमिका
१, संशोधन सामग्री
पाहुडदोहा का प्रस्तुत संस्करण दो प्राचीन प्रतियों पर से तैयार किया गया है। ये प्रतियां मुझे क्रमश: पन्नालालजी अग्रवाल, दिल्ली, व प्रोफेसर ए एन उपाध्ये, कोल्हापुर, द्वारा प्राप्त हुई थीं। अतएव में उक्त सज्जनों का बहुत उपकार मानता है।
इन प्रतियों का परिचय निम्न प्रकार है
यह प्रति दिल्ली के नये मंदिर की है । इसका पता हमें अनेकान्त में प्रकाशित श्रीयुक्त जुगलकिशोर जी मुख्तार के एक नोट से चला। इसकी पत्र संख्या १२; आकार ११" x ५" पंक्तिया प्रति पृष्ठ ११, वर्ण प्रति पंक्ति लगभग ३६; हांसिया ऊपर नीचे ", दायें वायें ११" है। यह प्रति प्रायः शुद्ध है और अच्छी दशा में रक्षित रही है । कागज पीला, पतला है किन्तु अभी खराब नही हुआ ।
प्रारम्भ - अथ पाहुडदोहा लिप्यते । अन्त - इति श्री मुनि रामसीह विरचिता पाइडदोहा समात ॥