Book Title: Nyayavatarvartik Vrutti
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Shantyasuri, Dalsukh Malvania
Publisher: Saraswati Pustak Bhandar Ahmedabad

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Page 491
________________ १५ अक्ष भज्ञानविनिवर्तन नरेशविरोधक अनादिनिधनामिका अनुमान मनिवृत्ति अवेकान्तात्मक सनकास्तिक शाम्तयांति अम्बयानुपपद्यत्व अपरोक्षता माप्रतीत ४. न्यायावतारसूत्रशब्दसूची। १६बागभिनेतहेतुगोचरमोहिन् २८ मय २९,३० विपर्यास ९ निरवच १२ न्यायविद् २५ विल्दारेकित १७ विवृत्तिमत् २५ पक्षादिवचनात्मक ११ विषम २९ पक्षाभास , २० वैधयं २४ परमार्थाभिधायिन् ... व्याप्ति .७व्यामूहमनस् परोक्ष प्रतिपाथ १२ शुतवर्मन् प्रत्यक्ष ३, ५ १,०२,२७ संदेह प्रत्यक्षप्रतिपचार्थप्रतिपादिन् १२ संपूर्णार्यविनिवाविन प्रत्यक्षाचनिराकृत संवन्यस्मरण २० परार्थ २२ परार्थव २१ बास स्पातीति २२ प्रतिभास अम्रान्त अर्थ मसिब मादानहानपी मासोपा २० मसाध्य उपेक्षा प्रमाण १,२,३ प्रमाणत्व प्रमाणत्वविनिमय प्रमाणलक्षण प्रमाणादिव्यवस्था अमावा प्रमाता २७,२८ प्रयोग ... कापथषम २९ प्रयोजन गोचर गोचरदीपक प्रहणेक्षा ,१० संशय ५सकलाप्रतिमास सकलात्मसततप्रतिमासन... सकळावरणमुक्तम्मन् समक्षवत् । साधन 161९,२५,२६ ११,१७साधब १२५ साध्य १९,२०,२५,16 साध्यनिनायक २० साम्यसिदि साध्यादिविकल २. साध्याभ्युपगम साध्याविनाभु २१ प्रसिदार्थप्रकाशन जीव बाधविवर्जित बान तरबमाहिता तत्वोपदेशकर वयोपपति तदाभवा तमामोहनिति भोक्ता भ्रान्त १७ मान्दस्वसिदि २२ मान मेयविनिमय २६लिस २६ कोक १८,१९/वचस् २५,२५/वस्तु दूषणामास ८,.. खाद्वादश्रुत खनिमयवद् ५,२७ खपराभासिन् २० सवचन १२ खसंवेदनसंसिद्ध १९ सान्यनिर्मासिन् 41.खान्यनिमाबिन् २१ हेतु देशाब्यात दोष २५ वादिन १,१५,१०,२२ महाःकारिकारसुचकाः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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