Book Title: Nyayavatarvartik Vrutti
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Shantyasuri, Dalsukh Malvania
Publisher: Saraswati Pustak Bhandar Ahmedabad

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Page 494
________________ परोपदेशन पर्याय पूर पूर्वापराधात प्रकृति प्रतिमास प्रतिवादिन प्रतीति प्रत्यक्ष प्रत्यक्षवत् प्रत्यभिज्ञादि प्रमाण प्रमाणपत्र कामाच प्रमाणफकसाथ प्रमेच प्राणादि प्रातिम प्रेमसुखम फक पापविवर्जित पाचव पावस्तुमकाचक भाव भूधराह मेव मेरज्ञान मेदावभासिनी मति मनसेच महवादिन महत् माग मागस्य मानसमन्वय मेवविनिमय मोक्ष मौकि Jain Education International [फ-म] ६. न्यायावतारसूत्रवार्तिकवान्दसूची । [4, 5, 8] १९ १३,१६,३२ युगपद्मास ४८ योग ५५ योग्यत्व ८ रा १३,१९ दि 99 कक्षण " fr २,५,१३,१०,२८ जिय विहिन 2° firs १,२,३,६,३६ १५ १२, १४, १६ वचन [वचस वस्तु | वादिन बार्तिक १६ १९ विधि ५१ विपक्षग २१ दि विषद विशेष ● विषय ३५ व ३५ वेदन ● वैच २४ वैफल्य २४ वेक्षण्य २५ वैशच ३९ व्यतिरेक २० ५३ २९ व्यभिचारिन् व्यवसाय १४,४० १५ क्य ५५ २ सय ३५ शासन [ब] [श, स, ] योजन वर्जि २१ म १०,१२ ९, १६ संबन्धिन् ५४ संयुक्त ५२ संयोग ४२ संवित्सिमतिक्षेप V1ting २८ संचा ४१ सरब १८ क ५४ ७ समन्तभद्र १५,३३ समानपरिणाम ४१,५० सर्व HEAT सचिकर्षादिक ५० साखाकृति ८,५२, ५३ ५६ साय ५२ साधन साधनागोचरत्व १७ साध्य २३,१७ | सापाभाव १७ साध्याभास ५ सामान्य २९ श्व २१ सिद्धसेव ५६सिद्धसेनार्क ४९ सुव १४ सूत्र १७ | सूत्रकृ ४५ सोक् १२ वेदन ३ स्मृति समविज्ञान ५० खपराभासिन् १८ खरूप For Private & Personal Use Only २० १२ विहिवार्थ ५६ दे ૦૨ २४ 26,00 80 80 १९ २९ २५ ३५ ४५,५१ ܐ 30 १६ ५३ ४९ १२ 18 ४६,४९ ४२,४६,५० ५१ * ÷ २६.९१ १५ ५१ २०,३१ २८ १९ १९ १९ ४२,४६,५२, ५३ www.jainelibrary.org

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