Book Title: Nyayavatarvartik Vrutti
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Shantyasuri, Dalsukh Malvania
Publisher: Saraswati Pustak Bhandar Ahmedabad

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Page 512
________________ ११. टिप्पणगत प्रन्यकार । - गिरम 100 केसलिम २०ापjिीवार १५ . कौटिल्य २ . चो, बोचर १५१,०२,२१५,२१,२५०/गंगेश ५९-२0१,२५,४५, जगदीसम्म Rai ,२००, चन्द २४, ५५, चावतिदावमारीमर २५० २८५/ ११८,१९,२९,२१२० बावस्कार १९९३ अन्यकीति २५. २२१,२२१,२५२,१५४,२५५, पवाकि .. . परमार्थ २५ बरालि १५०,१५4,२०४- - बमवरे I ns, २०,२१,२१पासारथि १५1100,00,19,२५६ देतो वस्योपचापकार पुरन्दर. २०१५बर स्वपार (मन्दी) १२. देखो, सम्मविटीकाकार | देखो, प्रमाश्मकार . अपर ३१,२५२, मागास प्रवकर १,२,५५५०, २५० बिनभागवि ११R ,मकर देखो, हेतुविदुरीकाकार यासकार [.._... २००,२०९,९15 १९१,१९९/ देखो, माशादि प्र भाकर 8-10 २८९ प्रयोपकार १५१,५० प्रभाचय 131 गायोकर १२५, माय १२५,११ ११९,९९,11,1,16, ,१७, ११,१९,२१,२२९,२००, ११,१९०९12-२१२,१७, | 10,100,२००,1, २८५ २५०,९८०,२८,२८३ २११,२०,९५५-२५०,३८५ देखो, बार्तिककार देवी ,११,१०० प्रमाणधमकार . . ., २२०,२११ १.२.१,२२,२०,२५०, उमासाति १,५५100 २२२१४,२४५ ७ .प्रमखपाद . . , ., देखो, तपासून्कार | १५०,१५५,११,११८,00, | २४१,२१,२०,२५९,११, कमळशीव १,१३,१४, १८,१८१,100,८९,१९०, १९१,२९०/१९१९०,१०१,२०००हस्पति २०१-१.५ योनी २१०-२१५,२२०,२९९,९३०, नरदेव २१२,२५,२१८,२२,२५१, महरि १५,१५१,१५,, २१०, २ ५ ,२५,२९९, २००, २७,२४,२५,२५० अपराचा २०३,१८५ २०१,२०,२००,२८१,२०० भवदास १७० जमारक १,१२० धर्मोचर १२५,१ , भारद्वाज 1,५५,१९ ५०,१११,२९९,२१२ भासह १०९,100,101,10,16, देखो, म्याचबिनटीकाकार भयु 16 .८,२४,२९, मागार्डन १९२ मध्य २९१,१२,१२८,२५५,२५५, निम्बार्क २५०,16निरुजकार. १११/मनोरपनन्दी ११. न्या.४१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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