Book Title: Nyayavatarvartik Vrutti
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Shantyasuri, Dalsukh Malvania
Publisher: Saraswati Pustak Bhandar Ahmedabad
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२६१
.१७०/विचारकस्व
१७२ विज्ञान
२५६
२.५/विपरीतल्याति
१३. टिप्पणगत शब्दों और विषयोंकी सूची । -पाकी प्रसिद्धार्थ क्याति| -कुमारिकसमत उभयात्मकता व्यवसाय १४८,१५०,१५१,
२५५
२५९, -योगाचारकी भामसाति| -खमावद्वारा उत्तर १४२ व्यवस्थाप्यव्यवस्थापकमाव
१६३ -की उत्पाद-व्ययनाम्यामकता -मीमांसको किकार्थ
१८२ व्यवहारमय
२८३ वाति ५-प्रभाकरकी -संस्कृतका लक्षण २८ व्यापार अश्याति १५ बायवाचकभाव १७१ च्याति
२७१ चाविका विकी विपरीत वासना १३९,११८,६१,१६, -प्रहण १६९ १६५,१७०,१०६,१९३,२१५/प्याति
१५ दोषमीमांसा
१३० मेद
१३९,२५० -प्रत्यक्षेवरनाम
१५च्यावृत्यनुनमात्मक
२५५ -सहज और माहा १७०/विजातीययावृत्ति ५७,२५१, शक्ति -मामाग्यविचार
१६४,२८१
-की कल्पनाका बीज १०६ मिथ्यात्व विचा
-का स्वरूप
१७६ मिल्याप्रलय विधिविकल्प
-शून्यवादीके मतसे . १७६ बिना
२८०
-शब्दादेतीके मवसे १७. मेवरूपता
१६६,६७,
-धर्मकीर्ति और प्रभाकरका बचार्य
१९९,१७४ १७५ विपर्यय
-यांकरका मत बोगितान -सहन और माहार्य
-वैशेषिक नैयायिकका मत योग्यता
-मीमांसकका मत र १९९,२८१,-परमाणु २८२/
-के दो प्रकार १८. कमपित्व १०५ का मूल
-सक्रिय-निष्क्रिय १८० विवेकास्वाति
-कामाश्रय कम-सजका वादालय
१६७,२०२ ,
-अमूर्त
१८१ १३७, का अनुवाद या विधान,
-अपूर्व मौर भावकमकी २५१, मासूख-प्रमालभूत विशेष २५२,२५,२५५,५९,
तुलना विशेषणविशेष्यभाव २३१,
-प्रामाकरों का मत १८१,का जौकिकार्य
भेदाभेद १८१,-सुखादिसे
भित्र १८१, जैनमत १८२विषयव्यवस्थापक
नित्यानित्य १८२, सांस्यमत -चौरक मतसे शनिकोबीवराग
१८२,- शंकराचार्यका मत ११९,२५८,२८०, जैनसमत-की पूजाकी सफलता २७५/
१८२,-धर्मकीर्ति ८३,-ग्राहक बयपर्वावात्मक ११९,२ वैकक्षण्य
प्रमाण.८३-वस्तुका लक्षण २१२ २१५, वस्तुमेदना पाचार -का नियामक ५९मेदकामाधार वैशव
बायार्थ में अप्रमाण ॥ माममेद नहीं की अनेक -जैन-बौदादिकी रष्टिसे
२३७ शाब्दिक व्यवहार सांकृतिक प्रकारसे विज्ञछिM, धर्म- केनाना कक्षण .कीर्मित भवात्मकताका सारश्यज्ञान
२२० ब्रह्म २५८,१७७,२५४,२५० निरास २१४ व्यंजनपर्याय १८२ नय
२२६ -बर्मकीरिसमस पाहायोस्पध्यमिचारिज्ञान
१५७ शाग्द.
२१८ २१५'व्यय २८१ म्याय
१३१
१७१
101,100विभंग
२०५ विनम
१५२/
२५९
१५५,१९६/विषयदोष
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