Book Title: Nyayavatarvartik Vrutti
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Shantyasuri, Dalsukh Malvania
Publisher: Saraswati Pustak Bhandar Ahmedabad

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Page 499
________________ ३०८ ८. न्यायावतारवार्तिकवृत्तिगवाना शब्दानां सूची । -शानोपसंहार ५४... दशवाडिमादिवाक्य ११३.६ सिको मूलमयौ १९३.९ पर्या- शापक ३५.१५-प्रति-दर्शन ७१. पनय ९३.२९ पाण्याखिक भासाभाष ११०.१८ मेद दुर्मणत्व २९. ११३.१२-गुरपयास्तिक ९८.१३-कक्षित५४. रहस्य ११३.१२:-गुबार ११३. १६-मरण ४६.९० च्या जिन १९.७७८.. ब-विकरण ९८.५,२१-नानाप्रकृतिकस्व बीव २८.२७,५१.२५,१००. एकीकरण १११.२९ मालिकेरद्वीपायात ३८.२२ -मध्य ४५.२४१५०.२॥ ४१.९९,१०३.१०,नाश ५०.१११८... -'खामाव्य ४५.१२ १०४.१७ निश्रेियसकारण १२०.. १५.२७ देव ५२.३७ निगमम १०२.४११०३.१,३० ६०.६ देश ८३.१०, नित्य ८७.९-मनित्यात्मक १४.५,१७.१,५१८. काल-सभावामेद ८८. ८७.१५,९०.२२:- भनित्या२५.२५,२९४२७.३४५. विशेष १०५.२५ स्मन् ९२.81-स्व ३२.२३: १५:५४.१५९.३४६०.२७, देख ४६.३०-कायो (मलि) -परमाण्वारा ३३.२३॥ १००.१६-मनुगत ८४.२५, ४६.३०, मास्मिका (मति) वारब्ध ३३.२५ - भन्सर ९४.10-मभिधान- ४६.३० गुणा (मति) ४६. नियम नियम ६२.१९७११३.१, प्रवृत्ति १७.१६-आकार ४१. ३०, माश्रित ४९.२२ १२०.१४-प्रह १०६.५:५.८०.२०९७.२८मात्म-दोष अविनामा १०३.२९ २७.९:३०.16 वेदन ८०.९:-माइतिक्षय नियोक्त . ५७.२५ मक्ष २७.३४-भभाव ४५.१५-केवळ ४४.०४५. ५६.२२,२४,५७.11 २३.बाधार २७.३ - प्रतिभासमेव ४१.३; ५८.२,१०९." ___°वत् ५४.३५-पादो२२.२११३४.२४,३९, लियोज्य ५७.२५ १७८०.१०,८३.२८,१०१८४. निरंश ९१.१४ २०९५.१५,१०,१०५.१०, निरालम्बन ज्ञापकरव ५७.११७८०.८) ज्योतिर्षिद ५२.११ ११७.५:११८.८७ निर्गुण मशिकमय ११३.५ निर्वाण बरहरवक्षकारस १२०.१५) -ग्रहण १५.२०-पोष हेतु १२०.५ सामाबविशेष ७८.२५ निर्विकपदर्शन २८.२७ बदपिम् २०.३॥ धर्म ६७.१९:-अधर्म ५९.१४ निवर्वन ८९.८ सदाभासता -मधर्मशता ५९.७:५९.९ निवर्वनिवर्तकमाव बदुत्पत्ति ३६. ५५.७-शत्वनिष५५. निवत्यविकारारम्भक ४८.२ प्रजापनियत 1-धर्मिभाव ५७.२० निवृत्ति ८९.१२ वापता -साधकस्व ६२. निनवप्रवक्ष ७८.११ तपस्व ३९.७६७.१९, निशिवपामाग्य ४४.२२७६.२१ १०५.२५ निखितत्व ८५.१५ तर्क. १०३.१०११०४.३,९, धूम तादात्म्य ३६.१,९६.२०, यान ३०.नियोजन १२.॥ - -तदुत्पत्ति १०३.०ीब १९३.७११६. पक्षदेशिन् वापादि ११२.६/ध्वंस ११७.२२ पक्षधर्म .१०२. पहर तिरोभाव ११५.२५ ध्वनि ३२.२८-धर्म ३२.३० १०२.११- १०५.२७. विर्यप ८१.. ममर्ष वचन १०२.101-संवग्ध२८.१३४११८.२५ मब १९३.९/-यम-संग्रह-पर१०३.१०/- हारनाम्पसममिक्वंभूत पक्षण १०६.० वचन १०२.२५ -१९३. ९बाक्षिक-पर्यावा-पवन्य २०.२२ धर्मिन् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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