Book Title: Nyayavatarvartik Vrutti
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, Shantyasuri, Dalsukh Malvania
Publisher: Saraswati Pustak Bhandar Ahmedabad

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Page 508
________________ .. ९. व्यापावतारवातिकसूत्रवृत्तिगतानाम् अवतरणानो खोपकारिका पसूची। ३१० पदिएरातिरिकोऽबाप का शरीरानिचमात्मानं [खो.] ५५. शरीरावर्गवखैव बदीवागमसत्सव .१११] ५५... | शीगरोपोग[लो.] बदेवधि क्षीरं ११४.. भाम्बाबुका बचमानतो ब्याक्षिा ८६.१ भुवतिःक्षता १००.३. बन्ते चामता प्रस्थान का..] पक्षियहि सन्साने १२०.१५ बाव बनासर्व पदसतानि लिहन्यन्ते वापर होनससपि .का. संचातिकवाव्यामि ११ ] सगाभ्याम् (बेता...] ५२.. बेऽपि हिसाबवावववका. . संसानसम्पवान्य सचेतनं पदाकर्म ४२.२० बेऽपि मन्मादया सिदा पसं.का. सत्यमेवत्वमित्वेवर १९९८] सम्वानकारण प [. .. ] ४८... देपि बातिलमा पसं. 10] ५२.1 माह मेजावन्ने [. ..] स्वावास्यमालो.] बता सोमपुरणाचा ५५.. समया प्रतिमवंबा stetne] पपोगो [वस्या..... ७६.२५ मिलियनुमानाना [कोदाममा.. समयवस्तुविचार १०८.. समसामक्ति प.प. बसोपोरोवर -10]. बवानन्दमेरल ५४. समुपयोऽपि देवा [ोशा संवन्यात विज्ञापते पता पक्ष लिबानो रेषाप्रमाणवा...] सर्विरो पनि सौरम्म [लो.] ससस किपि का. सावित्री[स] १०८॥ विशेषा परिहाराष सपंजोक्यतया बावं [ ...] विशेषाति पन्ने ५८.१० विशेषगमामाचार १०६.१ सशो मयते वापर [ सं.का. बिना [वा. ५२.. . ] ५२॥ विषमगतपोवबादाबीमु.को.]१२०.१.स | सबको पस्वमिमेव [वपसं.. मीहिलामाकनीवार १२३५] वैवाहममेवा ...] सर्वममावसंवन्धि विपसं.. ] ५५॥ पैदाहममे पुल महान्वं ५०..सतोमवरूपले प्रमाणवा...] ९३.९० अजितन्मम्ममावाद ९६.२२ सर्वासा विकत्वेन ९६.२७ सर्वमावाससमाव'.. योगवना पारम् ५४.३१ स भाषा समावेन [प्रमाणपा. १३५] भरमा हिपदाता सग्देवाबापताक्षस सर्वेची परवनस्वाद पारिश पावला ४१. सविकसकमध्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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