Book Title: Niyamsara Author(s): Kundkundacharya, Himmatlal Jethalal Shah Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust View full book textPage 5
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates अर्पण जिन्होंने इस पामर पर उपकार किया है, जिनकी प्रेरणा और कृपासे नियमसारका यह अनुवाद हुआ है, जिन्हें नियमसारके प्रति पारावार भक्ति हैं, नियमसारमें गड़े हुए अमूल्य अध्यात्मनिधानोंको प्रगट करके जो नियमसारकी अलौकिक प्रभावना कर रहे हैं, नियमसारके हार्दरूप परम पारिणामिक भावका अनुभव करके जो निजकल्याण साध रहे हैं और निरन्तर उसका धारावाही उपदेश देकर भारतके भव्य जीवोंको कल्याणमार्ग पर ले जा रहे हैं, उन परमपूज्य परमोपकारी कल्याणमूर्ति सद्गुरूदेव (श्री कानजीस्वामी ) को यह अनुवादपुष्प अत्यन्त भक्तिभावसे ___ अर्पण करता हूँ --- अनुवादक हिंमतलाल जेठालाल शाह Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.comPage Navigation
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