Book Title: Niyamsara
Author(s): Kundkundacharya, Himmatlal Jethalal Shah
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 400
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पृष्ठ | | पृष्ठ | दर्शनं निश्चयः पुंसि दंसणपुव्वं णाणं द्रव्यानुसारि चरणं 313 172 183 291 122 नमस्यं च तदेवैकं न हि विदधति निषिद्धे सर्वस्मिन् निष्क्रिय करणातीतं प 229 57 100 पडिकमणं पडिसरणं परियट्टणं च वायण पंचाचारपरान्नकिंचन पुढवी जलं च छाया | प्रत्याख्याय भविष्य / 108 | यथावद्वस्तुनिर्णीति: 316 | यत्र प्रतिक्रमणमेव 196 | यदग्राह्यं न गृह्णाति यदि चलति कथञ्चि१८९ | यमनियमनितान्तः 78 187 | लोयायासपदेसे 166 व वनचरभयाद्धावन् 172 | वसुधान्त्यचतुःस्पर्शषु 301 / व्यवहरणनयः स्या१४० स 51 | सकलमपि विहाया१७९ | समओ णिमिसो कट्ठा समओ दु अप्पदेसो 314 | समधिगतसमस्ताः 294 | सव्वे भावे जम्हा संसिद्धिराधसिद्धं 168 | सिद्धान्तोऽयमदात्त१५३ | सो धम्मो जत्थ दया 228 | स्थितिजनननिरोधलक्षणं स्थूलस्थूलास्ततः 115 / | स्वयं कर्म करोत्यात्मा 197 | स्वरनिकरविसर्ग। 206 स्वेच्छासमुच्छलद 64 बन्धच्छेदात्कलयदतुलं बहिरात्मान्तरात्मेति 119 179 156 102 भ भावयामि भवावर्ते भेदविज्ञानतः सिद्धाः भेयं मायामहागर्ता 15 334 51 192 मज्झं परिग्गहो जइ मुक्त्वालसत्व| मोहविलासविजूंभित- Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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