Book Title: Niyamsara
Author(s): Kundkundacharya, Himmatlal Jethalal Shah
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 398
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates मोत्तूण अट्टरुदं मोत्तूण अणायारं मोत्तूण वयणरयणं | मोत्तूण सयलजप्पममोत्तूण सल्लभावं | गाथा पृष्ठ ७५ | १४२ १८२ | ३५६ १२५ | २४७ १०३ १३९ । ३७० ८३ १२ | २६ रयणत्तयसंजुत्ता रागेण व दोसेण व रायादीपरिहारे १३४ गाथा| पृष्ठ ८९ | १६४ | वावारविप्पमुक्का | १५७ | विजुदि केवलणाणं १५३ | विरदो सव्वसावज्जे १७७ | विवरीयाभिणिवेसवि७ | १६२ | विवरीयाभिणिवेसं स ७४ १४१ | सण्णाणं चउभेयं ५७ ११० समयावलिभेदेण द् १३७ | २६८ | सम्मत्तणाणचरणे सम्मत्तस्स णिमित्तं १५७ | ३०६ | सम्मत्तं सण्णाणं ७१ | सम्मं मे सव्वभूदेसु १६९ ३३३ | सव्वविअप्पाभावे | सव्वे पुराणपुरिसा २८० सव्वेसिं गंथाणं ९४ संखेजासंखेजा११३ | २२४ | संजमणियमतवेण द १५३ | ३०० | सुहअसुहवयणरयणं १२२ | २४२ | सुहमा हवंति खंधा ५५ १०४ २६२ १०३ १०३ १९६ लभ्रूणं णिहि एक्को लोयायासे ताव लोयालोयं जाणइ १०४ २६९ १३८ १५८ ६० ३०८ ४५ १२३ वट्टदि जो सो समणो वण्णरसगधफासा वदसमिदिसीलसंजमवयणमयं पडिकमणं वयणोच्चारणकिरियं ववहारणयचरित्ते ११३ ७० २४४ २३७ ४९ । १२० २४ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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