Book Title: Niti Vakyamrutam
Author(s): Somdevsuri, Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti

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Page 6
________________ विषय 28. राजनीति ज्ञान युक्त कौन राजा 29. बुद्धिमान राजा का लक्षण 30. नीतिशास्त्र ज्ञान विहीन की क्षति 31. शास्त्रज्ञान से पुरुषों को लाभ क्या है ? 32. शास्त्र ज्ञान शून्य पुरुष का विवरण 33. मूर्ख मनुष्य की हीनता का वर्णन 34. राज्य की क्षति करने वाले राजा का लक्षण 35. अयोग्य युवराज के लक्षण 36. दुष्ट राजा से प्रजा की क्षति का वर्णन 37. दुष्ट राजा के लक्षण 38. राज्यपद के योग्य पुरुषद्रव्य का लक्षण 39. अयोग्य पुरुष राज्याधिकारी से हानि 40. गुणवान पुरुष का वर्णन 41. बुद्धि के गुण और उनके लक्षण 42. विद्याओं का स्वरूप 43. राजविद्याओं के नाम और संख्या 44. आन्यिक्षिकी विद्या के पठन का लाभ 45. त्रयी विद्या के पढने का लाभ 46. वार्ता - विद्या से लाभ 47. दण्डनीति में प्रवीण राजा का लाभ अन्य मतावलम्बियों की अपेक्षा अविक्षिकीविद्या के प्रति मान्यता 49. आन्वीक्षिकी आध्यात्म विद्या के लाभ 50. अनभ्यास विद्या और विद्वानों की संगति से रहित की हानि 51. सदाचारी को संगति से होने वाले लाभ 52. राजगुरुओं के सद्गुण 53. शिष्टों के साथ नम्रता का वर्ताव करने वाले राजा के गुण 54. राजा का माहात्म्य 55. दुष्ट पुरुष से विद्या प्राप्त करने का निषेध 56. गुरुजनों के अनुकूल शिष्यों का विवेचन 57. कुलीन और सदाचारी शिक्षकों से लाभ 58. दुराग्रही, हठी राजा का होना योग्य नहीं 59. मूर्ख दुराग्रही राजा का वर्णन 60. हितकारकों का कर्तव्य 61. स्वामी के प्रति विद्वानों का कर्त्तव्य पृष्ठ संख्या 115 116 117 118 119 120 121 121 122 122 123 124 124-125 125 126 126 128 128 128 129 129 130 133 134 135 136 137 137 139 140 141 141 142 143

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