Book Title: Niti Vakyamrutam Author(s): Somdevsuri, Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti View full book textPage 5
________________ पृष्ठ संख्या 91 से 143 विषय 3. क्रोध शत्रु का निरुपण 4. लोभ का लक्षण निर्देश 5. मान का लक्षण 6. मद का लक्षण कथन 7. हर्ष का लक्षण 5. विद्यावृद्ध समुद्देशः 1. राजा का लक्षण 2. राजा के कर्तव्य राजा के अकर्तव्य 4. राज्य के लक्षण 5. वर्गों का भेदपूर्वक वर्णन 6. आश्रम के अंदी का वर्णन 7. उप कुर्वाणक ब्रह्मचारी का लक्षण 8. नैष्ठिक ब्रह्मचारी का लक्षण १. तुपद ब्रह्मचारी का लक्षण 10. पुत्र शून्य ब्रह्मचारी का लक्षण 11. शास्त्राभ्यास विहीन पुरुष की हानि 12. ईश्वर भक्ति न करने वाले की हानि 13. लोक सेवा न करने वाले की हानि 14. नैष्ठिक ब्रह्मचारी पुत्र विहीन होने पर भी ऋणी नहीं होता 15. नैष्ठिक ब्रह्मचारी का महत्त्व 16. गृहस्थ का लक्षण 17. गृहस्थों के नित्य करने योग्य सत्कार्यों का निर्देश 18. नैमित्तिक अनुष्ठानों गृहस्थों के भेद 19. अन्य मतों की अपेक्षा गृहस्थों के भेद 20. परमत की अपेक्षा वानप्रस्थ का लक्षण 21. परमत की अपेक्षा से वानप्रस्त के भेद 22. यति व साधु का लक्षण निर्देश 23. अन्यमतापेक्षा यतियों के भेद 24. राज्य का मूल 25. राज्य वृद्धि का उपाय 26. पराक्रम शोभित करने वाला गुण 27. राज्य की क्षति का कारणPage Navigation
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