Book Title: Nirgrantha-1
Author(s): M A Dhaky, Jitendra B Shah
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 296
________________ Vol. I-1995 कृष्णर्पिगच्छ का संक्षिप्त... २७ आचार्य जयसिंहमूरि ने भासर्वज्ञ कृत न्यायसार पर न्यायतात्पर्यदीपिका की भी रचना की। जयसिंहसूरि के प्रशिष्य एवं प्रसन्नवन्द्रसूरि के शिष्य नयचन्द्रमूरि ने वि० मं० १४४४ / ई० स० १३८८ के आसपास हम्मीरमहाकाव्य और रम्भामञ्जरीनाटिका' की रचना की। इन रचनाओं की प्रशस्तियों में इन्होंने अपने प्रगुरु जयसिंहसूरि का सादर स्मरण किया है। जयसिंहसूरि प्रसन्नचन्द्रसूरि नयचन्द्रसूरि [वि० सं० १४४४ / ई० स० १३८८ के लगभग हम्मीरमहाकाव्य और रम्भामंजरीनाटिका के रचनाकार] यही इस गच्छ से सम्बद्ध साहित्यिक साक्ष्य हैं। जैसा कि पूर्व में कहा गया है, इस गच्छ के मुनिजनों द्वारा प्रतिष्ठापित जिनप्रतिमायें भी उपलब्ध हुई हैं। इन पर उत्कीर्ण लेखों का विवरण इस प्रकार है : Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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