Book Title: Nirgrantha-1
Author(s): M A Dhaky, Jitendra B Shah
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 330
________________ काकोनी का जैन प्रतिमा लेख, संवत् १०८२ अरविन्द कुमार सिंह राजस्थान का उपरमाल क्षेत्र (प्रायः प्राचीन पश्चिमी पारियात्र प्रदेश) ब्राह्मणीय मन्दिरों के साथ-साथ जैन कलाकृतियों के लिये विख्यात है। इस क्षेत्र के कोटा जिले में स्थित अल्प ज्ञात ग्राम काकोनी के पुराने मन्दिरों के खण्डहरों में से जैन कला के भी कुछ अवशेष उजागर हुए हैं। उनमें उल्लेखनीय है एक खण्डित मन्दिर के द्वार के सामने रखी सलेख जैन प्रतिमा (चित्र क्रमांक १) । प्रतिमा के मसूरक (गद्दी) पर कुछ हद तक भ्रष्ट संस्कृत भाषा तथा नागरी लिपि में ३ पंक्तियों में लेख अंकित है (चित्र क्रमांक २) । प्रस्तुत अभिलेख में देशी संघ के करणिक भट्टारक शशधर तथा भट्टारक जयकीर्ति का नाम अंकित है। दोनों को भट्टारक कहा जाना इस तथ्य का प्रकाशक है कि वे मठवासी परम्परा के मुनि रहे होंगे। यह संभव है कि ये दोनों भट्टारक उत्तर की (अपने को यापनीय नहीं कहलाने वाली) अचेलक्षपणक परम्परा से सम्बन्धित रहे हों, अथवा दिगम्बर परम्परा से । प्रस्तुत स्थान के गोष्ठियों का भी उल्लेख है यद्यपि उनके नाम नहीं दिये हैं। उत्तर के अश्वेताम्बर परम्परा के ऐसे लेखों में नियमित आनेवाला अन्तिम शब्द "प्रणमति" यहाँ भी उपस्थित है। अभिलेख का पाठ १. संवत् १०८२ श्रीदेसि(शी) संघस्य तस्य भाह] शशधर करनि(णि)क २. रसनिभगुणरासि (शि)। स(श)मदमसद्वृत्तसत(?) पा: भट्टारक ३. श्री जयकीर्तिः समस्तगोष्ठि प्रणमतिः । चित्र सूची: १. काकोनी की जैन प्रतिमा (Courtesy, American Institute of Indian Studies, Varanasi.) २. काकोनी की जैन प्रतिमा का लेख (Courtesy, American Institute of Indian Studies, Varanasi.) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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