Book Title: Nirgrantha-1
Author(s): M A Dhaky, Jitendra B Shah
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 319
________________ कमल गिरि संदर्भसूची : १. आदिपुराण, सं० पन्नालाल जैन, ज्ञानपीठ मूर्तिदेवी ग्रन्थमाला, संस्कृत ग्रन्थ संख्या ८, वाराणसी १९६३, १२.६९, ८५, १३.४७; १४.२०; १०३.१५४; २५.१००-२१७; उत्तरपुराण, सं० पन्नालाल जैन, ज्ञानपीठ मूर्तिदेवी ग्रन्थमाला, वाराणसी १९६३ एवं १९६५, ६३. १६९; ६७.१४८-७२०; ७०.३६९-४९५ ७१.६-२२२. २. आदिपुराण ३२.१६६, ३८.२१८, ४५.१५३-५५; उत्तरपुराण ५७.१७-३४. ३. भगवतीसूत्र, सं० पेवरचन्द भाटिया, शैलान १९६६, ३.१.१३४ अंगविज्जा, सं० मुनिपुण्यविजय, प्राकृत प्रन्ध परिषद् १, बनारस १९५७ अध्याय ५१: द्रष्टव्य मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी, जैन प्रतिमा विज्ञान, वाराणसी १९८१, पृ० ३६. ४. तिवारी, जैन प्रतिमा०, पृ० ३७. ५. आदिपुराण २५.७३-७४, २१५; १७.६५. ६. महापुराण (पुष्पदन्त कृत), सं० पी० एल० वैद्य, मानिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला ४२, बम्बई १९४१, १०.५. ७. आदिपुराण २५.१००-२१७; १२.६९, ८५, १३.४७ १४.१ २०, १०३ २२.१८-२२; ३८.२१; उत्तरपुराण ६३.१६९; ६८.८९-९०; २८२-८४; ५४.१७५; ७०.२७४; ७३.५६-६०; ९३.३६९-४९५; पउमचरिय, विमलसूरि, भाग १, सं० एच० याकोबी, अनु० शान्तिलाल एम० बोरा, प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी सिरीज ६, वाराणसी १९६२, ४.४ ५.१२२. ८. ऋषभ त्वं पवित्राणां योगिना निष्कताः शिवः । महाभारत, अनुशासन पर्व क्रिटिकल एडिशन, सं० प्रतापचन्द्र राय, पूना, कलकत्ता, गोरखपुरः श्रीमद्भागवत् १.३.१३ (हस्तीमल, पृ.५४) मार्कण्डेयपुराण ५०.३९-४० शिवपुराण ४.४७-४८ कूर्मपुराण ४१.३७-३८३ अभिपुराण १०.१०-११ वायुपुराण, पूर्वार्ध ३३.५०-५१ ब्रह्माण्डपुराण, पूर्वार्ध अनुषङ्गावाद, १४.५९-६० बाराहपुराण अध्याय ७४. लिंगपुराण ४७.१९-२२ विष्णुपुराण, द्वितीयांश १.२७-२८ स्कन्दपुराण ३७.५७. ९. तिवारी, जैन०, पृ० १६५, १९३. १०. आदिपुराण १६.२४१-४५. ११. उत्तरपुराण ५७.७२; ७०.२७४ ९३. १२. रांगचरि २७.४३, पृ० २६८; तिलोयपण्णत्ति १.४.१४११, पृ०३२८; उत्तरपुराण ५७.७१. Nirgrantha १३. उत्तरपुराण ५७.९३, ७१.१२३-२५. श्वेताम्बर परम्परा में वासुदेव को पाञ्चजन्य शंख, सुदर्शन चक्र, कौमुदकी गदा, शार्क धनुष, नन्दक खड्ग, कौस्तुभमणि और वनमाला से तथा दिगम्बर परम्परा में असि, शंख, धनुष, चक्र, शक्ति, दण्ड तथा गदा से अभिलक्षित किया गया है जिन्हें वासुदेव का रत्न कहा गया है। १४. उत्तरपुराण ५७.९०; ७१.१२३-२८. १५. M. N. Tiwari, "Vaisnava Themes in Delwara Jaina Temples". K. D. Bajpey Felicitation Volume, Delhi 1987, p.195-200. १६. आदिपुराण, १२.६९-७६, ८५; १३.४७ १४.२०; २२.१८; उत्तरपुराण, ६३.१६९. २३. उत्तरपुराण ५४.१७५. २४. आदिपुराण १२.८५. १७. महापुराण (पुष्पदन्त कृत) ४६.१, ४८.९; ६२.१७ १८. आदिपुराण २३.१६३. १९. आदिपुराण १४.१०३-५४; उत्तरपुराण, ५०.२३-२४. २०. आदिपुराण १४.१०६-५८. २१. U. P. Shah, "Minor Jaina Deitics", Journal of the Oriental Institute, Baroda, Vol. XXXIV, Nos. 1-2, p. 46. २२. तिवारी, जैन प्रतिमा० पृ० ३३-३४,६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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