Book Title: Naye Mandir Naye Pujari
Author(s): Sukhlalmuni
Publisher: Akhil Bharatiya Terapanth Yuvak Parishad

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Page 38
________________ तीसरा अपराध / ३७. यद्यपि रोज-रोज के अभ्यास के कारण हमारे बच्चे दुर्घटना से बचने के अभ्यस्त हो गये हैं, पर होनहार को तो नहीं टाला जा सकता। इसे अंग्रेजी में इसीलिए एक्सीडेट कहा गया है । यद्यपि साईकिल वाले की साइड गलत नहीं थी। रमेश को चोट भी कोई खास नहीं लगी थी। थोड़ी सी खंरोच सी आई थी। थोड़ा खून बहने लगा था, पर रमेश इतने जोर से चिल्लाने लगा, जैसे उसका अन्तिम समय आ गया हो। साईकल वाले की यह गलती अवश्य थी कि एक्सीडेट होने पर भी वह नीचे नहीं उतरा, बल्कि और तेजी से साइकिल दौड़ाता हुआ भाग गया। हमारे आस-पास की औरतें रमेश के रोने की आवाज सुन अपने-अपने कमरे से बाहर निकल आई। साईकिल सवार को भागते हुए देख वे एक स्वर में चिल्ला उठींतुम खड़े-खड़े क्या देखते हो ? पकड़ो-पकड़ो, बेईमान ऐक्सीडेंट कर भाग रहा है। संयोग से मैं अपनी साईकिल से उतर ही रहा था। अतः औरतों ने मुझे ही आदेश दिया--देखते क्या हो? भागो, बदमाश को पकड़ो । बच्चे का एक्सीडेंट भी कर दिया और विना सम्भाल किये भागा जा रहा है। सचमुच ये लोग आजकल बहुत बदमाश हो गये हैं। इसीलिए तो जगहजगह एक्सीडेंट होते रहते हैं। इसका प्रतिकार न करो, तो कैसे सुधार हो? मुझे भी लगा कि वास्तव में ऐसे लोगों को शिक्षा देनी चाहिए। अतः मैंने भी अपनी साईकिल उसके पीछे कर दी। उसने तो अपनी सारी ताकत साईकिल पर झोंक दीं। मैंने भी उसको पकड़ने का पक्का इरादा कर लिया था, अतः अपनी पूरी ताकत लगा दी । बस्कि एक-दो जगह तो मेरा भी एक्सीडेंट होते-होते बचा । हम दोनों हवा की तरह दौड़े जा रहे थे। ____ राह-चलते कुछ लोग असमझ के कारण हमारी दौड़ को देखकर बातें कर रहे थे, देखो, कैसी दीवानगी है। आजकल नागरिकता का तो नाम शेष ही नहीं रह गया हैं। भीड़-भरी सड़कों पर ऐसे दौड़े जा रहे हैं जैसे यह सड़क उनके बाप की है। एक-दो व्यक्तियों ने आगे आकर हमें रोकने की कोशिश की पर, हम बचकर निकल गये । वह आगे दौड़ रहा था और मैं पीछे। दौड़ते-दौड़ते मैं उसके काफी नजदीक पहुंच गया। उसने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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