Book Title: Naye Mandir Naye Pujari
Author(s): Sukhlalmuni
Publisher: Akhil Bharatiya Terapanth Yuvak Parishad

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Page 107
________________ हिसा की तस्वीर : अहिंसा का फ्रेम उस दिन मैं एक बहुत बड़े सेठ के घर मेहमान था । उसका कई जगह व्यापार चलता था। जिस कमरे में मुझे ठहराया गया वह बहुत अच्छी तरह से सजाया हुआ था । आधुनिक सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण उस कमरे में एक और सेल्फ पर भगवान् बुद्ध की करुणापूरित मूर्ति रखी हई थी, तो दूसरी ओर गीता हाथ में लिये हुए महात्मा गांधी का चित्र था। मैं सोच रहा था कि एक जैन परिवार होते हुए भी यहां भगवान महावीर की तसवीर क्यों नहीं है ? शायद महावीर की तसवीर लगाने में मूर्तिपूजा का सूक्ष्म खतरा अनुभव किया होगा । पर बुद्ध और गांधी के साथ मूर्ति पूजा का कोई खतरा नहीं है तो वह अकेले महावीर के साथ कैसे हो सकता है ! मैं इस विषय में अपने मन में विचार कर ही रहा था कि इतने में पिछले दरवाजे से 'खड़िया मिट्टी ले लो', 'खड़िया मिट्टी ले लो' की आवाज़ आई। निश्चय ही उस आवाज़ से यह पहचाना जा सकता था कि यह किसी वृद्ध महिला के कंठों से निकलता हुआ स्वर है। पर मैंने सजगतापूर्वक उस पर ध्यान नहीं दिया। दूसरी बार फिर आवाज़ आई और बड़ी-बड़ी दीवारों से टकराकर खो गयी। किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया । ___कोठी के प्रांगन का दरवाजा बिलकुल गली में खुलता था। वह जमीन से ज्यादा ऊंचा भी नहीं था। अत: बुढ़िया आंगन के दरवाजे तक चढ गयी और अपने पोपले मुंह से फिर मिट्टी खरीदने की आवाज़ देने लगी। अब वह मेरी दृष्टि के बिलकुल सामने थी। उसका चेहरा झुरियों से भरा हुआ था। कमर झुक गयी थी। कपड़े मैले तथा जगह-जगह से फटे हुए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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