Book Title: Naye Mandir Naye Pujari
Author(s): Sukhlalmuni
Publisher: Akhil Bharatiya Terapanth Yuvak Parishad

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Page 52
________________ नए मंदिर : नए पुजारी जब से भाखड़ा की बिजली मिलनी शुरू हुई है, राजस्थान के गांव और कस्बे रोशनी से जगमगा रहे हैं। टीलों से घिरे ऐसे गाँव, जहां मनुष्य का पहुँच पाना भी कठिन था, वहाँ अब बिजली पहुँच चुकी है। पहुंच ही नहीं चुकी है, अपितु अब तो वहाँ के जीवन के साथ उसका इतना तादात्म्य हो गया है कि एक दिन भी बिजली न आए तो लोग परेशान नजर आने लगते हैं। पहले जिन घरों में मिट्टी के दीये भी नहीं जलते थे, अब वहां बिजली के लट्ट जगमगा रहे हैं। निश्चय ही इसके कुछ लाभ हैं, पर साथ ही साथ कुछ अलाभ भी अवतार लेने लगे हैं। पुराने जमाने के लोग बिजली-पानी आदि के लिये वरुण-इन्द्र आदि देवों की पूजा किया करते थे। अब उनका स्थान धीरे-धीरे यंत्र लेते जा रहे हैं। पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने एक बाँध का उद्घाटन करते हुए ठीक ही कहा था--अब हम नये तीर्थ-स्थानों का निर्माण करने जा रहे हैं। पुराने तीर्थस्थानों का महत्व धीरे-धीरे कम होता जा रहा है और ये नए तीर्थ लोक-जीवन की धड़कन बनते जा रहे हैं । सारे देश में, गाँव-गाँव में इन्हीं तीर्थों से सम्बन्धित पावर हाउस आदि के रूप में नये मंदिर भी बनने लगे हैं। जिस प्रकार शादी-विवाह के अवसर पर पुराने जमाने में मन्दिरों में में पंडे-पुजारियों को प्रसाद चढ़ाना आवश्यक होता था, उसी प्रकार आजकल इन नये मंदिरों में काम करने वाले कर्मचारियों को प्रसाद, चढ़ाना आवश्यक हो गया है । ___ सेठ चिमनीरामजी को पहले इस बात का ज्ञान नहीं था। होता भी कैसे ? वे तो दूर बंगाल में अपना व्यवसाय करते थे। किसी विशेष अवसर पर ही वे राजस्थान में अपने कस्बे में आया करते थे। अब भी वे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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