Book Title: Narmada Sundarino Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 178
________________ (१७६ ) नवयोगी नव वाडि ते, नव रात्रि प्रति बुद्ध ॥३॥ जोली कन्या नावना, जिन गुण गरबा केली ॥ में गल दीपक परम पद, कर्म नटाव अहेति ॥ ३३ ॥ वियावच्च आणुं नढुं, थविर तथा मुनिनाद ॥ शिशिर ऋतुयें मुनिवर करे, एम महोटा उ त्साह ॥३॥ पूर्व ढाल॥ कह्यो षटे रुतुनो एह वि वाद, नवि पामी नमया विषवाद ॥ नमया चारि वनी अरथी, रागी पूरण मुनिवरथी ॥ ३५ ॥ध न्य धन्य ते जव जय बंडे, मुनि वेशे श्रादर मंडे ॥ कही सत्तावनमी ढाल, एह मोहनविजयें रसा साल ॥३६ ॥ सर्व गाथा ॥ ॥दोहा॥ तातें घणुंये प्रीबवी, पण नवि माने तेह ॥ तातें अनुमति दीधली, नमयाने धरी नेह ॥ १ नमया अति रंजी हिये, तनू हुवो रोमंच ॥ उमाही दी क्षा जणी, करे नहीं खल खंच ॥२॥ तातें पुर श पगारियुं, तिहां हय गय रह जोडि ॥ अति उत्स व अष्टाहिका, मांगे होडा होड ॥ ३ ॥ दया पटह पुर फेरव्यो, दीधां अर्थीदान ॥ सयण सयल नेलां हुवां, दीधां तिहां बहु मान ॥४॥ बेठी नमया Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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