Book Title: Naishadhiya Charitam 03
Author(s): Mohandev Pant
Publisher: Motilal Banarsidass

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Page 570
________________ परिशिष्टम् 4 श्लोकानुक्रमणिका अकरुणादव सून० (4 / 102) अथ मुहुर्बहु (4 / 43) अकाण्डमेवात्मभुवा (3 / 90) अथवा भवतः (2061) अकारि तेन श्रव० (1 / 44) अथ श्रिया (1156) अखिलं विदुषा० (2055) अथ स्म राज्ञामव० (8 / 54) अग्न्याहिता नित्य० (871) अथ स्वमादाय (9 / 107) अङ्गेन केनापि (3391) अथाद्भुतेनास्त० (81) अचिरादुपकतुं० (2 / 14) अथान्तरेणावटु० (1158) अचीकरच्चारु (1173) अथावलम्ब्य (11121) . अजस्रभूमीतट० (1159) अथोद्भमन्ती (987) अजस्रमभ्यास० (1117) अथोपकार्या मम (6 / 11) अजस्रमारोहसि (3 / 106) अदस्तदाणि (1 / 28) अजातविच्छेदलवैः (957) अदाहि यस्तेन (873) अजीयतावर्तशुभं (7.69) अदृश्यमाना (9 / 4) अतनुना नवमम्बु (4 / 39) अदोऽयमालप्य (9 / 14) अतितमा समपादि (4 / 4) अदो निगद्यैव (9 / 30) अतिशरव्ययता (4 / 42) अधरं किल बिम्ब० (2 / 24) अथ कनकपतत्र० (2 / 107) अधारि पद्मषु (1 / 20) अथ नलस्य गुणं (3 / 1) अधिगत्य जगत्य० (2 / 1) अथ प्रकाशं निभृ० (9 / 24) अधित कापि मुखे (41111) अथ प्रियासादन० (71) अधीतपञ्चाशुग० (9 / 115) अथ भीमभुजेन (2073) अधीतिबोधाचरण० (114) अथ भीमभुवैव (9 / 57) अधुनीत खगः स (2 / 2) / अथ भीमसुता० (2064) मधृत यद्विरहोष्मणि (48)

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