Book Title: Naishadhiya Charitam 03
Author(s): Mohandev Pant
Publisher: Motilal Banarsidass
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________________ 57 . दिवौकसं कामयते (9 / 41) दुर्लभं दिगधिपः (5 / 80) दूते नलश्रीभृति 8.16) दूत्याय दैत्यारिपतेः (61) दृगपहत्यपमृत्यु० (4185) दृशापि सालिङ्गित (8 / 10) दृशोरमङ्गल्यमिदं (9 / 106) दृशोद्वंयी ते (9 / 67) दृशोर्यथाकाम (7 / 9) दृशो किमस्या (7 / 34) दृशो मृषा पातकि (9 / 91) दोर्मूलमालोक्य (6 / 20) द्रुतविगमित० (4 / 118) द्विषद्भिरेवास्य (1172) धनुमंधुस्विन्न० (1581) धनुषी रतिपञ्च० (2 / 28) धन्यासि वैदभि (3 / 116) धरातुरासाहि (3 / 95) धर्मराजसलिलेश० (5 / 68) धातुनियोगादिह (3 / 18) घार्यः कथंकार० (3 / 15) धिक्चापले वत्सि० (3155) धिक तं विधेः पाणि (3 / 32) धिगस्तु तृष्णातरलं (1 / 130) धिनोति नास्मान् (897) धियात्मनस्ताव (9 / 124) धुतापतत्पुष्प० (9 / 861) धृतलाञ्छनगो० (2 / 26) नैषधीयचरिते धृताधृतेस्तस्य (8 / 67) धृताल्पकोपा (38) ध्रुवमधीतवती (43). न काकुवाक्यैरति (9 / 93) न का निशि स्वप्न. (1 / 30) न केवलं प्राणिवधो (1 / 131) न खलु मोहवशेन (4 / 36) न जातंरूपच्छद० (11129) न तुलाविषये (2051) नत्वा शिरोरत्न० (820) नभसः कलभ (2067) न मन्मथस्त्वं (8 / 29) नरसुराब्जभुवा० (4 / 44) नलं तदावेत्य (9 / 137) नलं स तत्पक्ष० (9 / 128) नलप्रणालीमि० (63) नलविमस्तकित० (4 / 68) नलस्य पृष्टा (1137) नलाश्रयेण त्रिदिव० (3 / 45) नलिनं मलिनं (2 / 23) नलेन भायाः (3 / 117) न वनं पथि (2072) न वर्तसे मन्मथ० (9 / 118) नवा लता गन्ध० (1185) न वासयोग्या (1 / 128) न व्यहन्यत कदापि (5 / 123) न संनिधात्री (9 / 78) न सुवर्णमयी (2052)

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