Book Title: Naishadhiya Charitam 03
Author(s): Mohandev Pant
Publisher: Motilal Banarsidass
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________________ परिशिष्टम्-. नाकलोकभिषजोः (5 / 46) निवेवतां हन्त (8 / 24) नाक्षराणि पठता (5 / 121) निशा शशाङ्क (3 / 48) नात्र चित्रमनु (52) निशि शशिन् भज (4154) नाभ्यधायि नृपते (5 / 117) निषिद्धमप्याचरणी० (9 / 36) नामधयसमता० (5 / 10) निषेधवेशो विधि० (950) नावा स्मरः किं (1 / 66) नृपनीलमणी० (2275) नासादसीया (7 // 36) नृपमानसमिष्ट० (28) नास्ति जन्यजनकः (5 / 94) नृपाय तस्मै (199) नास्पशि दृष्टापि (7 / 17) / नृपेण पाणि (3 / 69) नास्माकमस्मा० (8 / 104) नृपेऽनुरूपे (1133) निःशङ्कसंकोचित० (777) नेत्राणि वैदर्भसुता० (33) निजस्य वृत्तान्त० (9 / 79) नैनं त्यज क्षीरधि० (680) निजांशुनिर्दग्ध० (9 / 146) नैव न प्रियतमो० (5 / 69) निजा मयूखा (1165) नैषधे वत वृते (5 / 71) निजे सृजास्मासु (8192) न्यधित तदृदि (4 / 41) नित्यं नियत्या (6 / 103) न्यवेशि रत्नत्रितये (971) निपतितापि न (4 / 51) न्यस्तं ततस्तेन (8183) निपीय पीयूषरसौ (9 / 72) पङ्कसंकरविहित (5 / 87) निपीय यस्य (11) पतगचिरकाल० (27) निमीलनंभ्रंश (1127) पतगेन मया 2013) निमीलनस्पष्ट० (6 / 22) पतत्रिणा तबुचिरेण (1 / 127) निमीलितादक्षि (1140) पतिवराया (981) निरस्य दूतः स्म (9 / 38) पदं शतेनाप (682) निरीक्षितं चाङ्ग० (8112) / पदातिथेयांल्लिखि० (9 / 143) निलीयते ह्रीविधुरः (3333) पदे पदे भाविनि (3 / 11) निवारितास्तेन (1 / 11) पदे पदे सन्ति भटा (1 / 132) निविशिते यदि (4 / 11) पदे विधातुर्यदि (10) निवेक्ष्यते यद्यनले (9 / 47) | पदैश्चतुभिः सु० (17)

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